पेड़ की आत्मकथा

Last Updated: September 25th, 2024By Tags:

मैं पेड़ हूं। मैं सबके जीवन में बहुत जरूरी हूं। मैं एक छोटे से बीज से एक बड़ा पेड़ बनता हूं। मैं मानव और जानवरों को फल, फूल, सब्जियां और लकडियां देता हूं। मैं धरती को सुंदर बनाता हूं। मैं अलग-अलग तरह का होता हूं, जैसे – आम का पेड़, सेब का पेड़, और केले का पेड़। कई देशों में मुझे ‘वृक्ष’ और ‘विटप’ के नाम से जाना जाता है। मैं जहां भी होता हूं, वहां हरियाली ही हरियाली होती है। ‘पतझड़’ के मौसम में मेरे सारे पत्ते झड़ जाते हैं। इसलिए इस मौसम को पतझड़ कहा जाता है। मेरे बिना जीवन धरती पर असंभव है। मैं कई सालों तक जिंदा रहता हूं। मेरे पते ज्यादातर हरे रंग में होते हैं। मगर मेरे पते लाल और पीले पीले रंग में भी होते हैं। आज-कल मुझे मानव जाति के लोग काटने लगे हैं। जिससे मेरी संख्या कम होती जा रही है। मानव जाति के लोग अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए मुझे काट रहे हैं। जैसा कि आपको को पता है कि मेरे बिना जीवन नहीं है। और अगर मैं धरती पर खत्म हो गया तो सब खत्म हो जाएगा। भारत की सरकार ने मुझे बचाने के लिए ‘पेड़ बचाओ’ और ‘पेड़ लगाओ’ अभियान भी शुरू कर रखा है। परंतु फिर भी मानव जाति के लोग मन नहीं रहे हैं। मैं सारे मानव जाति के लोगों से यह कहना चाहता हूं कि ‘मुझे बचाओ और जीवन को संभव बनो’.

Written by Nikku.

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